यद्यपि Stationary and book store business करना बेहद ही आसान प्रक्रिया है, सामान्य बोलचाल की भाषा में हम समझाने की कोशिश करेंगे तो हम यही कहेंगे की एक दुकान किराये पर या अपनी ली, उसमे सामान भरा और दुकान पर बैठ कर ग्राहक का इंतजार करने लगे। ताकि ग्राहक आये और उद्यमी उसे स्टेशनरी और किताब बेचकर अपनी कमाई कर सके।
लेकिन सोचिये यदि कोई कंपनी उद्यमी से अपने कार्यालय हेतु स्टेशनरी खरीदना चाहती है, तो क्या ऐसे में उद्यमी उस कंपनी को अपनी सर्विस दे पायेगा चलो मान लेते हैं की उद्यमी दे भी देगा । लेकिन असली सवाल यह उठता है की क्या कंपनी बिना Tax bill के स्टेशनरी आइटम खरीदेगी। उत्तर नहीं है, कोई भी कंपनी बिना टैक्स बिल के अपने कार्यालय हेतु स्टेशनरी के आइटम नहीं खरीदेगी।
इसलिए ऐसी स्थिति से निपटने के लिए उद्यमी के बिज़नेस का Tax Registration होना बेहद जरुरी है। ताकि उसके पास सभी प्रकार के ग्राहक व्यक्तिगत व्यक्ति/संस्थाएं/ कार्यालय इत्यादि अपनी आवश्यकता के अनुरूप Stationary items खरीद सकें।
Contents
- 1 स्टेशनरी क्या होती है :
- 2 स्टेशनरी के प्रमुख प्रकार (types of stationary in Hindi):
- 3 स्टेशनरी और बुक स्टोर कैसे खोलें (How to open Stationary & Book Store):
- 4 स्टेशनरी की दुकान की मार्केटिंग करें :
- 5 स्टेशनरी बिजनेस शुरू करने में खर्चा
- 6 FAQ (सवाल जवाब)
- 7 स्टेशनरी की दुकान से कितनी कमाई होगी
स्टेशनरी क्या होती है :
जैसा की हम सबको विदित है स्टेशनरी से हमारा अभिप्राय अधिकतर तौर पर लिखने एवं कार्यालय के अन्य कामों के लिए उपयोग में लाये जाने वाले उपकरणों से है। जैसे पेन, पेन्सिल, लिफाफे इत्यादि।
कहने का आशय यह है की लिखने की प्रक्रिया जिस भी उपकरण की मदद से हाथों द्वारा की जाय या किसी मशीन जैसे प्रिंटर/कंप्यूटर इत्यादि द्वारा उसमे प्रयुक्त होने वाली वस्तु स्टेशनरी आइटम में ही आती है।
उदाहरणार्थ: यदि कोई व्यक्ति हाथों के माध्यम से लिखना चाहता है तो उसे एक Letter pad एवं एक Pen की आवश्यकता हो सकती है Letter pad एवं Pen General Stationary के अवयव हैं। इसके अलावा यदि व्यक्ति इसी लेख को प्रिंटर के माध्यम से प्रिंट आउट निकालना चाहता है तो प्रिंटर में लगने वाली इंक या Cartridge Printing Stationary के अवयव हैं।
बुक स्टोर का सामान्य सा तात्पर्य है एक ऐसी दुकान जहाँ पर किताबें मिलती हों और इसलिए स्टेशनरी और बुक स्टोर से आशय एक ऐसे स्थान से है जहाँ से लिखने के काम में आने वाले उपकरण एवं किताबें आसानी से खरीदी जा सकें।
स्टेशनरी के प्रमुख प्रकार (types of stationary in Hindi):
स्टेशनरी Items को इनके उपयोग के आधार पर मुख्य रूप से तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है।
- सामान्य स्टेशनरी (General Stationary) : General Stationary से हमारा आशय ऐसे Stationary Items से है जिन्हें सामान्य उपयोग में लाया जाता है इनमे मुख्य रूप से पेन, पेन्सिल, Eraser इत्यादि हैं।
- प्रिंटिंग स्टेशनरी (Printing Stationary) : Printing Stationary से अभिप्राय ऐसी स्टेशनरी की वस्तुओं से है जिन्हें प्रिंटिंग हेतु उपयोग में लाया जाता है इनमे मुख्य रूप से Printer Cartridges, Printer Ink, Paper Rim, Bond paper इत्यादि आते हैं।
- कंप्यूटर स्टेशनरी (Computer Stationary) : कंप्यूटर स्टेशनरी से हमारा आशय कंप्यूटर के उपयोग में लायी जाने वाली स्टेशनरी से है। इनमे मुख्य रूप से CD, DVD, Pen drive, Mouse Pad इत्यादि आते हैं।
स्टेशनरी और बुक स्टोर कैसे खोलें (How to open Stationary & Book Store):
स्टेशनरी और बुक स्टोर शुरू करने के लिए उद्यमी को विभिन्न प्रक्रियाओं से होकर गुजरना पड़ता है।
स्टेशनरी की दुकान खोलने के लिए सबसे पहले इच्छुक व्यक्ति को स्टोर के लिए लोकेशन का चुनाव करना होगा स्टोर के लिए लोकेशन का चयन करते समय उद्यमी इस बात का ध्यान रख सकता है। की यदि लोकेशन शिक्षण संस्थानों के नज़दीक होगी तो ग्राहक के तौर पर अधिकतर विद्यार्थी हो सकते हैं।
यदि स्टोर किसी ऐसे स्थान पर है जहाँ कंपनियों के कार्यालय विद्यमान हैं तो इस स्थिति में उद्यमी के पास Corporate Clients अधिक हो सकते हैं।
इसके अलावा यदि स्टोर किसी भीड़ भाड़ वाले बाज़ार में उपस्थित हैं तो दिन भर यहाँ वहां से आने वाले लोग उद्यमी के ग्राहक हो सकते हैं। इसलिए उद्यमी को चाहिए की वह ऐसी बिज़नेस लोकेशन का चयन करे जो उपर्युक्त तीनो स्थितियों को थोड़ा थोड़ा बयां करती हो।
2. चयनित लोकेशन पर जगह किराये पर लें :
अब यदि उद्यमी ने अपने स्टेशनरी और बुक स्टोर के लिए लोकेशन का चयन कर लिया हो तो उद्यमी का अगला कदम उस लोकेशन पर अपने बिज़नेस के लिए जगह किराये पर लेने का होना चाहिए। या फिर उद्यमी चाहे तो अपने बजट के अनुरूप खुद की जगह भी ले सकता है।
किराये पर लेते वक्त उद्यमी को Landlord से Rent Agreement अवश्य करा लेना चाहिए क्योंकि बिज़नेस के नाम से बैंक खाता एवं टैक्स पंजीकरण में यह पता प्रमाण पत्र के तौर पर उपयोग में लाया जा सकता है।
3. स्थानीय निकाय एवं टैक्स पंजीकरण करें :
अब चूँकि उद्यमी ने स्टेशनरी की दुकान खोलने के लिए जगह भी किराये पर ले ली इसलिए अब अगला कदम स्थानीय निकाय जैसे नगर निगम इत्यादि की स्वीकृति लेना और GST Registration या अन्य लागू टैक्स पंजीकरण करा लेना चाहिए हालांकि स्टेशनरी में बहुत सारी ऐसी वस्तुएं भी होती हैं।
जिन पर किसी प्रकार का कोई टैक्स देय नहीं होता है अर्थात उन पर टैक्स में छूट होती है फिर भी उद्यमी को चाहिए की वह लागू कर नियमों को जानने के लिए किसी Charted Accounted इत्यादि की मदद ले सकता है, ताकि उद्यमी सभी प्रकार के ग्राहकों को अपनी सर्विस दे सके।
4. अपने स्टोर के लिए Stationary List Final करें :
उद्यमी को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए की स्टेशनरी आइटम्स में बहुत सारे छोटे बड़े उत्पाद होते हैं लेकिन हर उत्पाद हर जगह बराबर रूप से नहीं बिकता, कौन सा उत्पाद किस जगह पर अधिक बिक सकता है। यह सब बिज़नेस लोकेशन एवं टारगेट ग्राहकों की पसंद नापसंद पर निर्भर करता है।
इसलिए उद्यमी को अपनी बिज़नेस लोकेशन एवं Target Customers की आदतों का मुआयना करके ही अपने दुकान के लिए स्टेशनरी list final करनी होगी।
उद्यमी चाहे तो उस क्षेत्र में पहले से इस प्रकार का बिज़नेस कर रहे उद्यमियों से इस बारे में जानकारी ले सकता है। उद्यमी चाहे तो विभिन्न स्टेशनरी आइटम की लिस्ट तैयार करके उसके बिज़नेस के लिए कौन से उपयुक्त रहेंगे उन पर निशान लगा सकता है। कुछ मुख्य स्टेशनरी आइटम्स की लिस्ट इस प्रकार से है।
कुछ प्रमुख स्टेशनरी आइटम (Stationary Items List):
A4, A3 Legal Size paper Rim | Box File | Alpines |
Pens | Index File | Pen Stand |
Pencil | Cobra File | Whiteboard |
Eraser | Ring Binder File | Paper Display Board |
Sharpener | Spiral Pad Small/Notebook Small | Carbon paper |
Binder Clip in Different MM | Spiral Pad Big/Notebook Big | Rent receipt |
Permanent Marker | Rubber band | Duracell |
Whiteboard marker | Scale | Gel pens |
High Lighter | Scissor Small | Calculator |
U Clip | Scissor Big | Visiting Card Holder |
Tri Color Sticky pad | Scissor Medium | Plastic ID Card Holder |
Wide Sticky pad | Paper Cutter | Readymade Lanyards |
Bond paper | paper shredder | Table pad |
Fax roll | CD | Color pencil |
Whitener Pen | DVD | Sketch Pen |
Whiteboard duster | Pen Drive | Geometry Box |
Blackboard Duster | Various cartridges | Colorful Charts |
Punching Machine | Printer Ink | ribbon |
Staplers big and small both | Attendance Register | balloons |
Staplers Pins | General register | Compliments card |
Glue Stick | Stamp pad | |
PVC Coated U Type pen | Stamp pad Ink | |
Thumb Pin or Drawing Pin | Gems Clips | |
Cello Tape of different Inches | Glitter Pens | |
Brown Tape of different Inches | Paper Trays |
5. स्टेशनरी सप्लायर सर्च करें (Search Stationary Supplier) :
अब चूँकि उद्यमी ने अपनी दुकान के लिए संभावित तौर पर अधिक बिकने वाली वस्तुओं का चुनाव कर लिया है।
इसलिए अगला कदम स्टेशनरी सप्लायर ढूंढने का होना चाहिए उद्यमी को किसी ऐसे सप्लायर को ढूंढना होगा जो जरुरत पड़ने पर एक दो स्टेशनरी आइटम की भी डिलीवरी उसकी शॉप पर दे सके या नियमित तौर पर आर्डर लेने के लिए आता रहे।
6. दुकान के लिए स्टेशनरी और बुक खरीदें :
उद्यमी का अगला कदम चयनित सप्लायर से स्टेशनरी आइटम्स मंगाने का होना चाहिए शुरू में उद्यमी कम ही संख्या को अपने स्टोर का हिस्सा बना सकता है और बाद में अपना आर्डर इस तरह से प्रबंधित कर सकता है। की ज्यादा बिकने वाली आइटम उद्यमी की दुकान में कभी खत्म ही न हो।
और ऐसी भी कोई आइटम न हो जो वर्षों तक बिके ही नहीं। इन सब के बाद उद्यमी अपने ग्राहकों को स्टेशनरी आइटम बेचकर अपनी कमाई कर सकता है।
स्टेशनरी की दुकान की मार्केटिंग करें :
अब यदि उद्यमी ने बिज़नेस करने से पहले इस बिज़नेस के बारे में जो भी सोचा था अर्थात जिस प्रकार के लोगों को भी उसने अपने आंशिक ग्राहक के तौर पर समझा था। अगर वही लोग उसके ग्राहक के तौर पर सामने आ रहे हैं तो उद्यमी का बिज़नेस धीरे धीरे रफ़्तार पकड़ने लगेगा। लेकिन यदि नतीजे उसकी अपेक्षा के अनुरूप नहीं आ रहे हैं।
तो उद्यमी को चाहिए की वह अपने बिज़नेस को चलाने के लिए लगातार मार्केटिंग करता रहे इसके लिए उद्यमी चाहे तो शिक्षण संस्थानों में जाकर उनसे बात कर सकता है। ख़ास तौर पर छोटे बच्चों के स्कूल जिनके अध्यापक पढने वाले बच्चों के माता पिता को किसी विशेष स्टेशनरी की दुकान जहाँ उस स्कूल विशेष में चलने वाली वर्दी यानिकी यूनिफार्म खरीदने के लिए भी कहा जाता है।
यदि उद्यमी की शॉप किसी ऐसे स्थान पर है जहाँ से कपनियों के कार्यालय नजदीक हैं अर्थात यदि उद्यमी वहां तक होम डिलीवरी की सर्विस दे सकता है तो वह Corporate Clients को भी टारगेट कर सकता है। इसके अलावा उद्यमी चाहे तो हमारी यह मार्केटिंग तकनीक पर लिखा लेख पढ़ सकता है।
स्टेशनरी बिजनेस शुरू करने में खर्चा
स्टेशनरी बिजनेस शुरू करने में आने वाला खर्चा पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है की उद्यमी कौन कौन से स्टेशनरी आइटम को अपनी दुकान का हिस्सा बना रहा है।
सिर्फ इतना ही नहीं लोकेशन और शहर का भी इस बिजनेस को शुरू करने में आने वाली लागत पर प्रभाव पड़ता है। किसी मेट्रो सिटी में कॉर्पोरेट क्लाइंट को ध्यान में रखकर इस बिजनेस को शुरू करने के लिए अच्छे खासे निवेश करने की आवश्यकता हो सकती है।
वही दूसरी ओर किसी छोटे शहर में स्कूली बच्चों को टारगेट ग्राहक के तौर पर इस बिजनेस को कम पैसों के साथ भी शुरू किया जा सकता है। एक स्टेशनरी की दुकान खोलने के लिए आम तौर पर जिन मदों पर खर्चा करने की आवश्यकता होती है, उनकी लिस्ट कुछ इस प्रकार से है।
खर्चों का विवरण | खर्चा रुपयों में |
दुकान का किराया प्रति महीने 10000 के हिसाब से तीन महीने का | ₹30000 |
फर्नीचर और फिक्सिंग का खर्चा | ₹80000 |
स्टेशनरी आइटम खरीदने में आने वाला खर्चा | ₹2.5 लाख |
मार्केटिंग पोस्टर, फ्लायर्स इत्यादि | ₹15000 |
कुल खर्चा | ₹3.75 लाख |
उपर्युक्त आंकड़े से स्पष्ट है की स्टेशनरी की एक औसतन दुकान खोलने के लिए भी उद्यमी को लगभग ₹3.75 लाख खर्चा करने की आवश्यकता हो सकती।
लेकिन यदि उद्यमी अपनी दुकान में जनरल, प्रिंटिंग, कंप्यूटर स्टेशनरी और कॉर्पोरेट क्लाइंट को टारगेट करके यह बिजनेस शुरू करना चाहता है, तो फिर उसे इसे शुरू करने के लिए और अधिक निवेश की आवश्यकता हो सकती है।
FAQ (सवाल जवाब)
कॉर्पोरेट स्टेशनरी वेंडर कैसे बनें?
यदि आप विभिन्न कंपनियों के साथ स्टेशनरी वेंडर के तौर पर काम करना चाहते हैं । इसके लिए आपको अपने बिजनेस को वैधानिक रूप से रजिस्टर करने की आवश्यकता होती है।
छोटे शहर में स्टेशनरी बिजनेस को सफल बनाने के लिए क्या करें?
ऐसे शहर जहाँ पर कॉर्पोरेट क्लाइंट नहीं है वहाँ पर आप स्कूल के बच्चों को टारगेट करके इस बिजनेस को शुरू कर सकते हैं। स्कूल की यूनिफार्म, किताबें इत्यादि के लिए स्कूलों से टाई अप कर सकते हैं।
स्टेशनरी की दुकान कहाँ पर खोलें?
किसी कॉलेज, स्कूल, ट्रेनिंग संस्थान के नज़दीक या फिर किसी स्थापित मार्किट में इस तरह की दुकान खोलना फायदेमंद हो सकता है।
स्टेशनरी की दुकान से कितनी कमाई होगी
स्टेशनरी की दुकान से होने वाली कमाई पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करती है की उद्यमी की दुकान में कितने लोग प्रतिदिन स्टेशनरी आइटम खरीदने आते हैं ।
बड़े शहरों या मेट्रो सिटी में स्थित स्टेशनरी की दुकानें कॉर्पोरेट और आम ग्राहकों दोनों को स्टेशनरी आइटम बेच रहे होते हैं । कॉर्पोरेट क्लाइंट के साथ स्टेशनरी दुकानों का एग्रीमेंट बने हुए होते हैं।
जिनके मुताबिक उन्हें कॉर्पोरेट क्लाइंट की स्टेशनरी के आर्डर को चालान पर डिलीवर करना होता है। और फिर कॉर्पोरेट क्लाइंट द्वारा एग्रीमेंट में तय बिलिंग साइकिल के अनुरूप भुगतान करना होता है।
इस बिजनेस (Stationary Business) से असीमित कमाई की जा सकती है। बड़े शहरों में कुछ व्यकतिगत लोग भी इस तरह का यह बिजनेस करके ₹50 हज़ार से ₹2 लाख प्रति महीने की कमाई कर रहे हैं।