प्लास्टिक उद्योग किसी भी देश की economy के लिए एक महत्वपूर्ण उद्योग है । क्योकि प्लास्टिक का उपयोग न सिर्फ घरेलु उपयोग में आने वाली वस्तुएं बनाने में किया जाता है, बल्कि गाड़ियाँ, हवाई जहाज, कृषि उपकरण, जल प्रबंधन की मशीनों एवं उपकरण, दूर संचार के उपकरणों इत्यादि में भी प्लास्टिक का उपयोग किया जाता है ।
हालाँकि वर्तमान में भारतीय प्लास्टिक उद्योग जो सबसे बड़ी कठिनाई का सामना कर रहे हैं, वह यह है की प्लास्टिक का पर्यावरण पर बुरा असर पड़ रहा है । लेकिन इस समस्या के निदान हेतु प्लास्टिक रीसाइक्लिंग प्लांट लगाये जा रहे हैं । जिसमे प्लास्टिक को दुबारा उपयोग में लाने हेतु तैयार किया जा रहा है ।
प्लास्टिक उद्योग से हमारा तात्पर्य उन सब उद्योगों से है । जिनमे प्लास्टिक और उससे बनने वाली वस्तुओं का निर्माण व्यवसायिक तौर पर किया जाता है । प्लास्टिक का उपयोग अधिकतर हर तरह की वस्तुओं और Industry में किया जाता है ।
इनमे से मुख्य रूप से ऑटोमोटिव, कृषि, कंस्ट्रक्शन, हेल्थ केयर, टेक्सटाइल, और FMCG industry में प्लास्टिक का उपयोग बहुतायत रूप में होता है । उदाहरणार्थ यदि किसी उद्योग में प्लास्टिक के मग, जग, टोकरी, हेलमेट, बाल्टी, लंच बॉक्स, कंघी, टोंटी इत्यादि बनाने के काम होता है तो उस उद्योग को हम plastic udyog कह सकते हैं ।
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प्लास्टिक में व्यवसायिक संभावनाएँ:
प्लास्टिक का उपयोग विभिन्न इंडस्ट्री के उपकरणों जैसे हाउसिंग, कंस्ट्रक्शन, फर्नीचर, ऑटोमोबाइल्स, घरेलु वस्तुएं, कृषि, बागवानी, सिंचाई, पैकेजिंग, चिकत्सकीय उपकरणों, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों इत्यदि को बनाने में किया जाता है । अगर हम यह कहें तो गलत नहीं होगा की प्लास्टिक लगभग दुनियां में सभी मनुष्यों द्वारा किसी न किसी रूप में उपयोग में लाया जाता है । यही कारण है की प्लास्टिक उद्योग प्रति वर्ष 8% की ग्रोथ रेट के साथ निरंतर आगे बढ़ रही है ।
अपने देश भारतवर्ष में प्रति व्यक्ति द्वारा लगभग 9.7 किलो प्लास्टिक उपयोग में लाया जाता है । जबकि विकसित देशों अमेरिका में यह आंकड़ा 109, यूरोप में 65, चीन में 45 और ब्राज़ील में 32 किलो प्रति व्यक्ति है । यह आंकड़े साफ़ साफ़ दर्शाते हैं की अपने देश में Plastic udyog (Industry) में बहुत बड़े स्तर पर business scope है ।
प्लास्टिक उद्योग उद्योग में प्लास्टिक की वस्तुएं बनाने की विधियाँ :
Plastic udyog या industry में प्लास्टिक से निर्मित वस्तुओं (Objects) का निर्माण निम्नलिखित दो विधियों से किया जाता है ।
1. इंजेक्शन मोल्डिंग विधि (Injection Molding):
प्लास्टिक उद्योग में इंजेक्शन मोल्डिंग विधि का उपयोग अधिकतर और सामान्य रूप में किया जाता है । क्योकि इस विधि का उपयोग करके अधिकतम उपयोग में लायी जाने वाली वस्तुओं का अच्छी गुणवत्ता के साथ निर्माण संभव है ।
इस विधि के माध्यम से अलग अलग साँचो और रंग का उपयोग करके वस्तुओं को अलग अलग आकार, डिजाईन और रंग आसानी से दिया जा सकता है । Injection Molding Vidhi के द्वारा घरेलु वस्तुएं जैसे डिस्पोजेबल गिलास, प्लेट्स इत्यादि का निर्माण तीव्र गति से किया जा सकता है ।
इस विधि में कच्चे माल (प्लास्टिक कणिकाओं) को मशीन में लगे हॉपर में डाला जाता है । फिर धीरे धीरे एक पेंच को घुमाकर इस कच्चे माल को हीटर तक भेजा जाता है ।
गरम होने से प्लास्टिक कणिकाएं तरल पदार्थ में परिवर्तित हो जाती हैं । फिर इस तरल पदार्थ को नोजल के माध्यम से सांचे में इंजेक्ट किया जाता है । उसके बाद प्लास्टिक सांचे का आकार ले लेता है । और जब यह ठंडा हो जाता है तो इसे बाहर निकाल लिया जाता है ।
2. ब्लो मोल्डिंग विधि (Blow Molding Method):
Blow molding की यदि हम Injection Molding से तुलना करें, तो इस प्रक्रिया में कम दबाव (Pressure) होता है । यही कारण है की इस विधि का उपयोग करके अधिक सख्त वस्तुओं का निर्माण अच्छी गुणवत्ता के साथ नहीं किया जा सकता ।
यही कारण है की blow molding विधि द्वारा खोखली और लचकदार प्लास्टिक वस्तुओं का निर्माण अधिकाधिक तौर पर किया जाता है ।
आवश्यक कच्चा माल (Required Raw Materials for Plastic Udyog):
हालांकि इंडिया में प्लास्टिक के raw materials का निर्माण भी किया जाता है । और कुछ raw materials बाहर देशों से भी आयात किया जाता है । प्लास्टिक उद्योग द्वारा जो raw materials उपयोग में लाया जाता है । वह निम्न है ।
- Polyethylene (PE)
- Polypropylene (PP)
- Polystyrene (PS)
- Alkathene (AT)
मशीनरी एवं उपकरण (Machinery and Equipments):
Plastic Udyog स्थापित करने से पहले यह जरुरी हो जाता है की उद्यमी पहले यह निर्णय ले की वह कौन सी विधि का प्रयोग करके प्लास्टिक की वस्तुओं का निर्माण करेगा । ताकि उसी के अनुरूप वह Machinery and equipments खरीद सके । सामन्यतया Injection Molding में Injection Molding Machine और Blow Molding में blow molding machine और dry color mixer मशीन की आवश्यकता होती है ।
एक प्लास्टिक उद्योग जिसकी उत्पादन क्षमता प्रति वर्ष 70-75 मीट्रिक टन अर्थात 70000-75000 किलो हो, को स्थापित करने में लगभग 35 से 42 लाख का खर्चा संभावित है ।